रिखी क्षत्रिय ने लोक वाद्यों से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित कला जगत के प्रमुखों ने की सराहना
हैदराबाद में ‘लोकमंथन’ के चौथे संस्करण में प्रस्तुति देने का निमंत्रण
भिलाई। राजधानी रायपुर में 3 से 5 अक्टूबर तक आयोजित छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट के दौरान भिलाई निवासी और प्रख्यात लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय ने अपनी अद्वितीय प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस समिट का आयोजन गैर-सरकारी पहल ‘लोकमंथन’ की ओर से किया गया, जिसमें रिखी क्षत्रिय ने अपने संग्रहित लोकवाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी लगाई। उनकी प्रदर्शनी और प्रस्तुति को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और देशभर से आए कला संस्कृति से जुड़े प्रतिनिधियों ने सराहा।
जे. नंदकुमार से मिला विशेष निमंत्रण
प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार ने रिखी क्षत्रिय की लोक कला और वाद्ययंत्र संग्रह की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने रिखी को हैदराबाद में 21 से 24 नवंबर तक होने वाले ‘लोकमंथन’ के चौथे संस्करण में शामिल होने का विशेष निमंत्रण दिया। इस आयोजन में रिखी देश भर के आदिवासी लोक कला विशेषज्ञों और आदिवासी समुदाय के कलाकारों के बीच अपने संग्रह का प्रदर्शन करेंगे और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देंगे।
मुख्यमंत्री की उपस्थिति में लोक वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन
समिट के दौरान, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप के साथ रिखी क्षत्रिय के लोक वाद्य संग्रह का अवलोकन किया। केदार कश्यप ने मुख्यमंत्री को इन वाद्ययंत्रों का परिचय देते हुए बताया कि ये यंत्र छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। रिखी क्षत्रिय ने इस अवसर पर घुमरा बाजा से शेर की आवाज निकालकर दर्शकों को हैरान कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने कुहुकी, चरहे, तोड़ी, सिसरी, चिकारा, भेर और हुलकी जैसे यंत्रों का प्रदर्शन किया, जिससे सभी उपस्थित अतिथि अत्यंत प्रभावित हुए।
तंबूरा भेंट और सराहना
रिखी क्षत्रिय ने अपनी ओर से मुख्यमंत्री साय को एक तंबूरा भेंट किया, जिसे उन्होंने पारंपरिक लोक कला के प्रति अपनी आस्था और समर्पण के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों ने रिखी की इस विशेष प्रस्तुति की सराहना की।
प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
इस आयोजन में छत्तीसगढ़ की प्रमुख शैक्षणिक और प्रशासनिक हस्तियाँ भी शामिल हुईं, जिनमें एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. एनवी रमण राव, आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश, एमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. पीयूष कांत पांडे, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के अखिल भारतीय संयोजक गोपाल आर्य, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी. श्रीनिवास राव, और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ला प्रमुख थे। सभी अतिथियों ने रिखी की कला और लोक वाद्य संग्रह की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
पारंपरिक धुनों और भित्ति चित्र की प्रस्तुति
आयोजन में रिखी क्षत्रिय द्वारा संग्रहित मोहरी की धुन लाइव प्रस्तुत की गई, जबकि बांस, रुंझु देवार और चिकारा की धुनों ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इसके अलावा, आदिवासी समुदाय के भित्ति चित्रों की लाइव पेंटिंग का भी प्रदर्शन किया गया, जिसे शशि प्रिया क्षत्रिय उपाध्याय ने बखूबी अंजाम दिया। पारंपरिक गोदना शैली का भी यहां प्रदर्शन किया गया, जो आदिवासी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सांस्कृतिक नृत्य और समूह की भागीदारी
रिखी क्षत्रिय और उनकी टीम ने परब, बैगा करमा, गौर माड़िया और माड़ी करमा जैसे पारंपरिक नृत्यों की प्रस्तुति दी, जिसमें पारस रजक, प्रदीप ठाकुर, संजीव कुमार बैस, भीमेश, प्रमोद ठाकुर, सुनील कुमार, वेदप्रकाश देवांगन, रंजीत ठाकुर, वेन कुमार, नवीन साहू, नेहा विश्वकर्मा, जया ठाकुर, जागेश्वरी यादव, शशि साहू, लीना ध्रुव और अन्य कलाकारों ने भाग लिया। इनके योगदान से कार्यक्रम और भी जीवंत और रंगीन हो गया।
सारांश
रिखी क्षत्रिय की यह प्रस्तुति और उनके लोक वाद्य संग्रह ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी लोक संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह आयोजन न केवल लोक कला के संरक्षण और प्रोत्साहन का प्रतीक था, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का एक प्रेरणादायक प्रयास था।
More Stories
स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की तैयारी: भाजपा सरकार की नाकामी बनेगी प्रमुख मुद्दा
संसदीय कमेटी की बैठक में छाए रहे चंद्रशेखर आजाद, फंसा रहा SAIL प्रबंधन
एनएमडीसी की बैलाडीला लौह अयस्क खदान, बचेली कॉम्प्लेक्स से बड़ी खबर